संस्कार से समर्पण तक, सेवा से सनातन तक

आधुनिक युग भौतिकवाद की चकाचौंध से भरा पड़ा है, लेकिन इसकी कीमत हम अपनी संस्कृति, नैतिकता और जड़ों से कटकर चुका रहे हैं।

हमारा सनातन समाज जो कभी वैदिक मंत्रों की गूंज से और गुरुकुलों के ज्ञान से समृद्ध था, अब पश्चिमी प्रभाव में आकर अपनी जड़ों से ही अनभिज्ञ होता जा रहा है।

मिशन आर्यकरण फाउंडेशन इस अंधकार को दूर करने के लिए एक प्रकाश बनकर उभरा है – एक ऐसा संकल्प जो सनातन धर्म के पुनर्जागरण, वैदिक शिक्षा की पुनर्स्थापना और समाज के नैतिक उत्थान के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

हमारा लक्ष्य सिर्फ धर्म प्रचार तक सीमित नहीं है बल्कि यह गुरुकुलीय शिक्षा, गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण, शुद्धिकरण और शिक्षा से वंचित बच्चों के समग्र विकास तक फैला हुआ है। हमारा मानना ​​है कि “वेद” ही वह मूल है, जो समाज में करुणा, शांति, शक्ति और संतुलन ला सकता है। वेदों से ही वैदिक समाज का निर्माण संभव है, जिससे बालकों में नैतिक संस्कार का निर्माण संभव है।

वैदिक गुरुकुल

हमारे यहाँ के गुरुकुल में शिक्षा और संस्कृति दोनों के समन्वय का केंद्र बनेगा। यहाँ शिष्य न केवल वेद, उपनिषद और संस्कृत जैसे विषयों में पारंगत होंगे, बल्कि वे धातु विज्ञान, वास्तुशास्त्र, आयुर्वेद, योग और विमान शास्त्र जैसे वैदिक विज्ञानों का भी गहन अध्ययन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

वैदिक (योग, ध्यान और आत्मशक्ति) और आधुनिक शिक्षा का अद्भुत संगम। ​​

प्राकृतिक वातावरण में सांस्कृतिक जीवन के साथ भारत के प्राचीन ऋषियों (वैज्ञानिक परंपरा) के ज्ञान को पुनर्जीवित करना और आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भर, संस्कारवान, राष्ट्रभक्त और वैज्ञानिक बनाना।

गौ सेवा

मिशन आर्यकरण फाउंडेशन का एक विशेष संकल्प है – भारत की देशी गायों की नस्लों का संरक्षण, संवर्धन और पुनरुद्धार

आज गिर, साहीवाल, थारपारकर, राठी, लाल सिंधी आदि देशी नस्लें विलुप्त होने के कगार पर हैं। ये गायें न केवल धार्मिक दृष्टि से पूजनीय हैं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इनका दूध, गोमूत्र एवं गोबर स्वास्थ्य और कृषि दोनों की दृष्टि से भी अमूल्य हैं।

गाय की देशी नस्लों को अपनाना, उनका संरक्षण और उनकी संख्या बढ़ाना। उनके उत्पादों के साथ पंचगव्य चिकित्सा और जैविक खेती को बढ़ावा देना। देशी गायों के महत्व के बारे में भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जागरूकता अभियान चलना।

पर्यावरण संरक्षण

मिशन आर्यकरण का दृष्टिकोण केवल वृक्षारोपण का कार्य तक सिमित नहीं है, बल्कि वैदिक जीवनशैली के अनुरूप प्रकृति और प्राणियों के साथ संतुलन और सह-अस्तित्व के भाव को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हमारा दृष्टिकोण जड़ी-बूटियों, प्राण वायु की देने वाले, औषधीय वृक्षों का संरक्षण व संवर्धन करना ।

विलुप्त हो रही वृक्ष व वनस्पति प्रजातियाँ, जो अब ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों तक सिमट चुकी हैं, उनका पुनः रोपण और जन-जागरूकता। स्थानीय औषधीय ज्ञान को संरक्षित कर, जनसाधारण को पुनः उससे जोड़ना। 

प्रकृति की ऋषिपरंपरा को पुनर्जीवित करें। वृक्ष लगाएं 🌳, जल बचाएं 💧, जीवन बचाएं 🌏

वैदिक शिक्षा

ऑनलाइन पाठशाला / कोर्स
Zoom, Google Meet, या YouTube Live द्वारा कक्षाएं।
पाठ्यक्रम: वेद, उपनिषद, संस्कृत, गीता, कर्मकांड, यज्ञ विधि, दर्शनशास्त्र, वैदिक सूक्तियाँ, श्लोक, संस्कार / PDF डाउनलोड (ई-बुक्स, पाठ सामग्री) / सोशल मीडिया प्रचार

ऑफलाइन व्यवस्था
आचार्य द्वारा लघु कक्षा संचालन। साप्ताहिक / मासिक शिविर का आयोजन मंदिर, विद्यालय, समुदाय भवन आदि / धार्मिक अनुष्ठान एवं यज्ञ आदि से जनसमूह में वैदिक परंपरा की भावना जागृत करना।

मानव सशक्तिकरण

Mission Aryakaran के अंतर्गत मानव सशक्तिकरण हेतु कौशल शिक्षा – समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर महिलाओं को केवल घरेलू दायरे में सीमित न रखते हुए उन्हें ऐसे कौशलों में दक्ष बनाना जिनसे वे स्वावलंबी हो सकें, युवाओं और ग्रामीण जनों को विभिन्न प्रकार के आजीविकोपयोगी एवं सांस्कृतिक कौशल सिखाना,

हम यह सुनिश्चित करेंगे कि युवा वर्ग केवल डिग्री तक सीमित न रहकर, कुछ कर सकने की शक्ति भी अपने अंदर विकसित करे। केवल रोजगार नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति से जुड़ा कौशल — जैसे यज्ञ संचालन, संस्कार विधि, गीत/भजन लेखन व प्रस्तुति आदि भी सिखाए जाएंगे, जिससे वैदिक संस्कृति की जीवंतता बनी रहे।

शुद्धिकरण

Mission Aryakaran का संकल्प है कि जो लोग भ्रम, भय या प्रलोभन से वैदिक धर्म से विमुख हो गए हैं, उनका वैदिक विधियों द्वारा शुद्धिकरण कर उन्हें पुनः ‘आर्य’ बनाया जाएगा। यज्ञ, वेद मंत्र, संस्कार और सामाजिक स्वीकार्यता के साथ उन्हें वैदिक धर्म में पुनःस्थापित कर, गौरवपूर्ण और धार्मिक जीवन की ओर अग्रसर किया जाएगा।

व्यक्ति को पुनः उसके मूल धर्म, संस्कृति और सत्य मार्ग पर लौटाना। यह केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना, आचरण और आत्मा की पवित्रता की प्रक्रिया है। वैदिक परंपरा में शुद्धि, आत्म-सुधार और धर्म में पुनः प्रतिष्ठा का माध्यम है।

अत्यंत आवश्यकता में सनातनियों का सहयोग करें

सनातन का, सनातनियों के लिए,
सनातन के द्वारा

Mission Aryakaran का संकल्प है कि दुनिया भर के सभी सनातनियों तक पुनः वैदिक धर्म का शुद्ध ज्ञान पहुँचाया जाए, जिससे वे अपने मूल धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़कर आत्मगौरव, अध्यात्म और धर्म के सच्चे सिद्धांतों को जाने व आध्यात्मिक चेतना से युक्त जीवन जी सकें।
हम इस परियोजना को लागू करने के लिए धन जुटाने में आपकी मदद चाहते हैं। इस परियोजना का उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जहाँ हर सनातनी हिंदू दूसरे सनातनी हिंदू व्यक्ति का समर्थन, बचत, धन अर्जित में सहयोग और काम करे।

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" आज की युवा पीढ़ी को धर्म और प्रकृति से जोड़ना जरूरी है, और Mission Aryakaran इस काम को सच्चे मन से कर रहा है। मुझे गर्व है कि मैं इस आंदोलन का हिस्सा हूँ। यहाँ काम करना सिर्फ सेवा नहीं, साधना है।"
अभय त्रिपाठी
युवा स्वयंसेवक (दिल्ली)
"आज की युवा पीढ़ी को धर्म और प्रकृति से जोड़ना जरूरी है, और Mission Aryakaran इस काम को सच्चे मन से कर रहा है। मुझे गर्व है कि मैं इस आंदोलन का हिस्सा हूँ। यहाँ काम करना सिर्फ सेवा नहीं, साधना है।"
अभय त्रिपाठी
युवा स्वयंसेवक (दिल्ली)
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अभय त्रिपाठी
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